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मैं शायर तो नही


1।

मेरे कुछ ख्वाब देखे मैंने,

बाजार घूमते हुए ।

खुश हुआ, उधार पे ही सही, 

जिंदा है ।


2।

राम ने राम किया बहुतोंको

कुछ नमकहराम अब भी बाकी है ।


3।

अंधेरेमे गुमी

परछाईको ढूंढ रहा था। 

वक़्तने कहा,

सुबह तो होने दो!


4.

कुछ लमहें बैठेथे 

खामोश अकेले दूर कोनेमे,

मैने पुछी वजह उनसे, बोले

हमारा वक्त गुजर गया ।


5। 

अहसास का लब्ज़ बनता

तो शायद वो तुम होती,

अगर ख़ामोशी कुछ कहती

वो तुम ही होती ।


6।

दिदार होताथा उनसे हररोज़,

पर नही आजकल,

वो खिड़की

हमेशा बंद रहती हैं ।


7।

सत्यका एक विशेषण 'अटल ' है ।

अटल ही अंतिम है ।


#श्रद्धांजली







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