Pages

तुम हो कौन?

 

मेरा घर आज मुझसे पूछा, तुम हो कौन?

दिनके उजालेमे अर्सो बाद देखा, तुम हो कौन?


देर रात से आते, सुबह जल्दी निकल जाते हो,

चाँद तो नहीं, और नहीं शबीना, तुम हो कौन?         (निशाचर)


खोकली दिवारोंके रंग अब उड़ गए है 

दरवाज़े को ताला लगानेवाले, तुम हो कौन?


बगिया उजड़के कितने बरस बित  गए 

बहारकी तमन्ना रखनेवाले, तुम हो कौन?


इंतज़ार और सूनापन मालिक बन बैठे है 

वक़्त किराया है, पैसे फेंकनेवाले तुम हो कौन?


इंसान ही नहीं, कभी घर भी मरा करते है ,

पराये ख्वाबोंका क़त्ल करनेवाले, तुम हो कौन?



No comments:

Post a Comment

Thank you for visiting !