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उड़ान

 

ये साकित आसमा, बे-हद है

उड़ान तेरे मनका दायरा है।  


चढ़ते सूरज से रुबरु करले ,

कामयाबी तेरी परछाई है  | 


उम्मीद के पर मजबूत तू कर ,

शहर की हवा थोड़ी खराब है | 


तू अक़ाब है , उंचाइसे न डर 

याद रहे, आखरी पड़ाव जमी है !

                                         




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