झूठा ही सही एक बार मुझे मर के देखना था
जनाज़े में कौन होता है शामिल ये देखना था
हरदम जो जताते थे है दिल बडा दरिया हमारा
क्या ऑंखसे उनके समंदर बहेगा ये देखना था
ताउम्र बोझ उठाये कइयोंका, कंधा कौन देगा
कौन दोस्त और कौन दुश्मन, बस ये देखना था
हमेभी आपसे मुहोब्बत है वो बोल न सके कभी
आज उनके चेहरेपे इजहार ए इश्क़ देखना था
पता नही जीतेजी हमे क्यों याद करता था कोई
किसके दिलसे आज मेरा जनाजा उठा देखना था
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