घड़ी

मेरे दिलकी दुआ आज कौनसा रंग लायी है

दहलीज पार कर आज गझल घर आयी है | 


शमा बुझाओ, उसे जलने की जरुरत नहीं है 

रोशनीसे महकाने, आज नजम घर आयी है | 


अनगिनत तसव्वुर ख़यालोमे बेझिझक है

तू सामने है, तो दिमागने सोच क्यों खोयी है?


कुछ बाते करू या बस ये नूर देखता रहु मैं 

तेरे लबोने इन लब्जोंको ख़ामोशी सिखायी है | 


निगाह मिलाना चाहता हु, आँखे क्यों झुकी है 

चाँद ढकने कम्बख्त, अकेली झुल्फ आयी है !


रफ़्तार बहके इसकी, समय बड़ा बेईमान है 

ठहर थोड़ा, इश्क़के इम्तिहांकी घड़ी आयी है | 


अपने दरमियाँ के ये फासले ख़त्म क्यों नहीं होते 

मजबूर हालात तोड़ने ये मुनासिब घडी आयी है | 


बहकने दे 'अकाब' मुझे रोकना नामुमकिन है 

इन सवालोंसे, जवाब माँगने की बारी आयी है | 

                                                         





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