Hamnashini



रुक जाता था हर बार,
एक मुलाकात के लिये
और वो मुडके देखे नही कभी !

थम जाता था हर बार,
उनका चेहरा देखने
और वो पर्दा उठाये नही कभी !

इरादा था मैं डुब जाऊ,
चाह-ए-जकन में तेरी
देख हमेवो मुस्कुराए नही कभी !

तरस रहा मुद्दत से,
कुछ तो कहिये हमसे
और वो लब खोले नही कभी  !

चाहता था छू लू उन्हें,
बजे दिलमे अबरेशम
कमबख्त मौका मिला नही कभी !

हो अगर पत्थर दिल तुम,
तो संग तराश हम भी है
और जिद हम छोड़े नही कभी !

जिसम की बात न थी,
मैं ढूंढ हमनशिनी रहा
और दुआ कबुल हुई नही कभी !




 

2 comments:

  1. शाम से आंख मे नमी सी है
    आज फिर आप की कमी सी है.... सारखे फिलिंग येते वाचून

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