आगोश

कभी तो बरसो बारिश की बुंदो की तरह
घुलजाओ रूहमे अनकही आरजू की तरह

करीब होते हुए भी फासले कितने मजबूर
मिलो राह पे चाहे एक अजनबी की तरह

मेरे वजूद की सबब अब बन गए हो तुम
आग़ोशमे आ साहिल और लहरो की तरह 

                                              

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