रात जाग रूमानी खत लिखे एक अर्सा हुआ
लफ़्जोंको कागज पे सजाके एक अर्सा हुआ
बाहों में घुलकर खामोश बैठा वक्त याद आया
तेरे चूड़ेमें सजे फ़ूल सुंगकर एक अर्सा हुआ
मर्मरी बदन और सुर्ख होठोंसे मैं बच तो पाया
तेरे कातिल आँखोंके शिकार हुए एक अर्सा हुआ
हर मोडपे समय जरूरते बदलता चला गया
जिंदगी तूने मेरा नाम पुकारे एक अर्सा हुआ
वक्तका हिसाब हमे कभी समझ में न आया
लहरोने पैरों तले रेत बहाये एक अर्सा हुआ
दर्दके बोझ तले हर कदम जैसे आखरी था
'अकाब'ने ऊंची उड़ान भरे एक अर्सा हुआ
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