ऊन जखमोंको भरने केलीये
तुम्हारा एक आसू काफी है
पर हमने तो तुम्हे रोते देखा नही
क्या अबभी कूछ सितम बाकी है?
इस इंतजार के आईनेमे
तुम्हारा एक दीदार काफी है
पर हमतो बस राह देखते रह गये
क्या आज रात अमावसकी है?
इस रुखी रुखी जिंदगी मे
आप हमे याद करना ही काफी है
पर हम करते है इश्क बेइतहा तुमसे
क्या धडकने किसीं के लिये रूकी है?
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