तेरी मुस्तक़िल हँसीसे
तेरी परवाहभरी बातोंसे
दुरुस्त लिहाज से, कातिल मिजाजसे
अंतसे परहेज था उन मुलाकातोंसे
मुहब्बत करूँगा मैं
जब तक है जान
जब तक है जान
तेरे बात छुपानेसे, दिलको दबाये रखनेसे
झूठी पाबंदीओसे, कड़वी बेरहमीसे
इस मजबूर दुरिसे
नामुमकिन रिश्तेसे
नफरत करूँगा मैं
जब तक है जान
जब तक है जान
तेरे जिन्दादिलीसे
तेरे अहदे वफ़ा से
तेरे नजर झुकानेसे, झूठी ख़ामोशियोंसे,
खयालोंको जो तूनेदी उस दमकशी से
मुहब्बत करूँगा मैं
जब तक है जान
जब तक है जान
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