कभी कभी मुझे तुम जलेबी की तरह लगती हो
चाश्नी में डूबी हुई सी, जब मुझसे बाते करती हो
हम मरकज़ चक्कर काटती हुई मेरे इर्द गिर्द (concentric)
मरोडनेपे जिसको, दिल से मानो प्यार बहता हो
तुम काजुकतली होने की संभावना ज्यादा है
वही एक है जो तुमसे सादगी सीखी है
उसकी दुनिया चाहे कितनीही गोलमटोल हो
लेकिन मेरे लिए त्रिकोनी हिरे जैसी है
खीर होती है थोड़ी पतली थोड़ी गाढ़ी
ठीक वैसेही मिजाज जब तुम मुझे डाटती हो
मैं बस देखता हूं तेरी आँखोंको और सोचता हूं
केसर की तरह घुल जाऊ इस फिरनी में
बहुत कम देखा है तुम्हे शरमाते हुए
जब भी शरमाती हो, हाथोंसे चेहरा छुपाके
जैसे गुजिया के अंदर गुड़ का हो पूरण
और मेरे लब्ज घी का काम करते रहे ।
कभी मेरे लिए हो सोनपापड़ी
तो कभी हो रंगबिरंगी बर्फी
या कहु रसभरी रसमलाई
या कहु मीठी ठंडी रबड़ी
नाम कई है तेरे दुनिया के लिए
मेरे लिए हो बस .....
इश्के दी चाशनी ।
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