ऐ साकी, तू शराब पिला, दवा नही
ये इश्क़ है, बस एक रात का नशा नही।
गैर जिम्मे दाराना तेरी फितरत नही
ये इश्क़ है, हमे बेदर्दीसे तोहमत नही ।
तू नही, तेरे बगैर ये राते रूमानी नही
ये इश्क़ है, खुदाकी कोई आरजू नही ।
सब कुछ तेरा, ये दिल भी अब मेरा नही
ये इश्क़ है, एक खरीद ओ फरोक्त नही।
फैसले यही होंगे, हालात का इलाज नही
ये इश्क़ है, सुनाहै जन्नत में क़ाज़ी नही ।
जमाना खराब है, उससे कोई उम्मीद नही
ये इश्क़ है, तेरी रजामंदी जरूरी नही ।
No comments:
Post a Comment
Thank you for visiting !