इश्क़ का नशा !


ऐ साकी, तू शराब पिला, दवा नही

ये इश्क़ है, बस एक रात का नशा नही।


गैर जिम्मे दाराना तेरी फितरत नही

ये इश्क़ है,  हमे बेदर्दीसे तोहमत नही ।


तू नही, तेरे बगैर ये राते रूमानी नही

ये इश्क़ है, खुदाकी कोई आरजू नही ।


सब कुछ तेरा, ये  दिल भी अब मेरा नही

ये इश्क़ है, एक खरीद ओ फरोक्त नही।


फैसले यही होंगे, हालात का इलाज नही

ये इश्क़ है, सुनाहै जन्नत में क़ाज़ी नही ।


जमाना खराब है, उससे कोई उम्मीद नही

ये इश्क़ है, तेरी रजामंदी जरूरी नही ।


                                                        

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