भावनांचा फुलोरा शब्दांचा धुमारा, काळाच्या गर्दीत मनाचा पसारा. जपताना त्या आठवणी, चार ओळी तुझ्यासाठी !
ये साकित आसमा, बे-हद है
उड़ान तेरे मनका दायरा है।
चढ़ते सूरज से रुबरु करले ,
कामयाबी तेरी परछाई है |
उम्मीद के पर मजबूत तू कर ,
शहर की हवा थोड़ी खराब है |
तू अक़ाब है , उंचाइसे न डर
याद रहे, आखरी पड़ाव जमी है !
Thank you for visiting !
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